चलिए शुरू करते है जो तू होती मेरी तो मेरी चाहत होती जो संग रहे वो तो मेरे मन की राहत होती वो दूर है मजबूर है है उसकी खुद की हस्सी ना जाने वो पहचाने वो क्या चीज़ें हैं तेरी फसी थिरखतें हैं मेरी उँगलियों पर सुरों के ये खेल और तेरी हसी जो ना हो कोई करवट ना तू थी कही ना तू थी सही जो मजबूर ना हो हाथ मेरे तो लिखदूं कहीं किस्से जो ना सुन सके तू होंठ अपने सिलदूँ कहीं (अब दिन ढले कहदूँ तुझसे मैं वो बातें अनकही पर अब भी डर लगता है के कहीं खोदूँ मैं तुझको नहीं) वो दूर है मजबूर है है उसकी खुद की हस्सी ना जाने वो पहचाने वो क्या चीज़ें हैं तेरी फसी थिरखतें हैं मेरी उँगलियों पर सुरों के ये खेल और तेरी हस्सी जो ना हो कोई करवट ना तू थी कही ना तू थी सही थिरखतें हैं मेरी उँगलियों पर सुरों के ये खेल और तेरी हस्सी जो ना हो कोई करवट ना तू थी कही ना तू थी सही सब स्कैम है