सुनो, मैंने बिगाड़ा है क्या ज़रा बता दो भी ना क्या है कसूर तूने, मुझको बनाया भी था मुझको मिटाया भी है ये कैसा जूनून एक बार गोद में ले लो भी ना, तेरी ही बेटी हूँ माँ कसर रह गयी हम्म... मैं तो, चली गयी एक दिन ना रुकी एक दिन ना दिखी जाने कहाँ मैं अचानक गिर गयी झलकती जो मेरी हसी वह ना खिली घुट के ख़तम हो गयी मेरी सांसें गूंजेंगी कानों में तेरे अनकही बातें जाने कहाँ मैं अचानक गिर गयी झलकती जो मेरी हसी वह ना खिली घुट के ख़तम हो गयी मेरी सांसें गूंजेंगी कानों में तेरे अनकही बातें अरे, इतनी भी जल्दी है क्या एक दिन तो रुकने दे माँ क्या हो जाएगा खाली खाली वह झूला रहा सूना वह कमरा लगा सूनी हैं बाहें तेरी ठोकर है लगती मुझे ज़िन्दगी नशीली सी आँखें मेरी, वह ना खुली सपने जो देखे नहीं, वह जलाये आखरी चीखें भी मेरी दफनाए