Kishore Kumar Hits

Darzi - Tezaab şarkı sözleri

Sanatçı: Darzi

albüm: Awaaz


टूटा हुआ कांच हूँ मैं
ये टुकड़े बिखर ही गए
जो पैर रख दे मुझ ही पे
वह कट के ही बहते गए
आसूं भी सूख गए हैं
ये चेहरा पिघल ही गया
तेज़ाब फेंका है मुझ पे
छपाकों से तू जल गया
और क्या कहने को
ना कुछ रहा सहने को
और क्या कहने को
ना कुछ रहा सहने को
तेज़ाब फेंक गया मुझ पे
बेनकाब कर गया मुझको
आईना ना देखा गया मुझसे
आयी ना ज़रा भी दया तुझको
तेज़ाब
तेज़ाब
तेज़ाब
तेज़ाब
टूटा हुआ कांच हूँ मैं
ये टुकड़े बिखर ही गए
जो पैर रख दे मुझ ही पे
वह कट के ही बहते गए
आसूं भी सूख गए हैं
ये चेहरा पिघल ही गया
तेज़ाब फेंका है मुझ पे
छपाकों से तू जल गया
और क्या कहने को
ना कुछ रहा सहने को
और क्या कहने को
ना कुछ रहा सहने को
शायद ही नींद आती है
ये जलन तड़पाती है
मेरा मन है सलाखों में
मेरा तन हुआ राकों में
तेज़ाब
तेज़ाब
तेज़ाब
तेज़ाब

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