Kishore Kumar Hits

Darzi - Choli şarkı sözleri

Sanatçı: Darzi

albüm: Awaaz


चेहरा छुपा के
सूरत नहीं
चुप्पी लगा के
बोली नहीं
घुंगट चढ़ा के
वह सपना नहीं
गजरा लगा के
मैं बिकती गयी
रातों को करवट
पलटती रही
खाना
परसती रही
चूल्हा जला के
सुलगती रही
प्यासी
तरसती रही
तूने ज़िंदा मुझको है पाया
वह मुंकिन नहीं
वह मुंकिन नहीं
ये चोली कैसा है पर्दा
जो कुतरे वही
जो कुतरे वही
गर्मी का एक लम्हा
नोचे वही
खरोंचे वही
ये चौका
सजाया भी था
माहवारी
में पराया भी था
मुझको छु के
सताया भी था
मारा भी था
मरवाया भी था
12 महीने
पसीना बहे
पैरों में छाले
नंगे पाओं तले
सूना
बस लगता रहे
ये गाना
गुनगुनाना पड़े
शीशे में चेहरा
धुंधला दिखे
ये आँखें
चपटी लगें

Поcмотреть все песни артиста

Sanatçının diğer albümleri

Benzer Sanatçılar