तुम हो दूर कहीं या फिर पास यहीं जाये जहाँ, ढूँढे तुझे ये रास्ता हौले से दे-दे मुझे अपना राबता जिसे बेइंतहां मैं प्यार से रहूँ देखता कहीं दूर से क्या पता वो यहीं कहीं पास है आके मेरे हाल को थाम ले तुम हो दूर कहीं या फिर पास यहीं ♪ आ लिख दे अनकही कोई दास्तां नयी तेरी-मेरी आँखों में लब की बातें हो जो उसका साथ हो, काफ़ी वही मेरे ग़म में भी, हर ख़ुशी पे वो वो दिन ज़ुबां-सम रात हो कुछ वो कहे, कुछ मैं सुनूँ उसमें छुपे मेरे राज़ हों जिसे बेइंतहां मैं प्यार से रहूँ देखता कहीं दूर से क्या पता वो यहीं कहीं पास है आके मेरे हाल को थाम ले तुम हो दूर कहीं या फिर पास यहीं