Kishore Kumar Hits

The Lost Symbols - Khidkiyan şarkı sözleri

Sanatçı: The Lost Symbols

albüm: Gharq


हर सुबह, हर शाम में, देखूँ तुझे ख़्वाब में
तेरा ये ठिकाना है कहाँ?
छोटी सी है ज़िंदगी, ये भी तूने है दी
फ़िर भी क्यूँ फ़ासले यहाँ?
है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ
ख़ुले आसमाँ की है क्यूँ बँद ये खिड़कियाँ?
है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ
ख़ुले आसमाँ की है क्यूँ बँद ये खिड़कियाँ?

हर डहर, हर राह पे, तरसे तेरी चाह में
तेरा आशियाना है कहाँ?
बिख़रे ज़माने में, टूटते मकानों में
बहके पनाहों में यहाँ
है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ
ख़ुले आसमाँ की है क्यूँ बँद ये खिड़कियाँ?
है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ
ख़ुले आसमाँ की है क्यूँ बँद ये खिड़कियाँ?

कैसी ख़ुमारी है या बेक़रारी है?
तेरी आस में ऐसे प्यासी है

है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ
ख़ुले आसमाँ की है क्यूँ बँद ये खिड़कियाँ?
क्यूँ रहबर है मुझसे मेरा यूँ ख़फ़ा?
कैसे मनाऊँ मैं उसको? यही है मेरी चाह

है मौसम जो भीगा, मुझे भी भिगा दो यहाँ

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