ये पहली बारिश की बूँदें कुछ कहना चाहती है तुमसे, सुन ज़रा ये दो दिलों की है बातें, जो कह ना पाई मैं खुद से, सुन ज़रा ये पहली बारिश की बूँदें कुछ कहना चाहती है तुमसे, सुन ज़रा जो कह ना पाई मैं खुद से, ये दो दिलों की है बातें, सुन ज़रा भीग जाऊँ तेरी मैं इन बाहों में ऐसे जैसे लिपटे हुए दो दिल यहाँ भीग जाऊँ तेरी मैं इन बाहों में ऐसे जैसे लिपटे हुए दो दिल यहाँ मिल रहे है जैसे आसमाँ और बारिश हो रही पूरी दिल की ख्वाहिशें कह भी दे जो है छिपा तेरे दिल में वक़्त कर रहा अब मीठी साज़िशें खोने लगे जैसे दिन के उजाले वैसे ही मैं गुम हो गई ये बेहकी-बेहकी हवाएँ, कुछ कहना चाहती है तुमसे, सुन ज़रा ये गूँजते हुए बादल जो कह रहे है ये मुझसे, सुन ज़रा पहली बारिश... पहली बारिश... पहली बारिश