Kishore Kumar Hits

Bombay Bandook - Ginti şarkı sözleri

Sanatçı: Bombay Bandook

albüm: Ginti


सपनों की तादाद गिनते-गिनते गिनती रूठी
गिन-गिनकर सारी गिनती छूट गयी
सपनों की तादाद गिनते-गिनते गिनती रूठी
गिन-गिनकर सारी गिनती छूट गयी
इन बंद पलकों की महफ़िल में जागकर
देखा तो एक पहेली फूट गयी
सपनों की तादाद गिनते-गिनते गिनती रूठी
गिन-गिनकर सारी गिनती छूट गयी

ये मन अदृश्य है, अनदेखा वो है नहीं
ये मन अदृश्य है, अनदेखा वो है नहीं
अंबर की चादर को ओढ़
समंदर पे सोता जब कि वो बैठा यहीं
मन तू कहाँ है? तू कहाँ?
मन तू कहाँ है? तू कहाँ? कहाँ?
है नहीं
सपनों की तादाद गिनते-गिनते गिनती रूठी
गिन-गिनकर सारी गिनती छूट गयी

ये लत है इस जान की
ये भूख है इंसान की
ये लत है इस जान की
ये भूख है इंसान की
सब भूलें, क्यूँ भूलें?
सब भूलें, क्यूँ भूले?
ये लत है इस जान की
ये भूख है इंसान की
सब भूलें, क्यूँ भूलें?
भूलें, क्यूँ भूलें?

ये भूख है पहचान की, वो चूक है इंसान की
करतूतें सब छूटें, मन तितर-बितर हो जाए
ये भूख है पहचान की, वो चूक है इंसान की
करतूतें सब छूटें, मन तितर-बितर हो जाए
सिर्फ़ आग है इस जान की जो राख ही पहचानेगी
मन ख़ाक-ख़ाक मिट्टी में ख़ाक-ख़ाक मिट्टी छू

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