Kishore Kumar Hits

Prayas Rokde - Mamuli khayal şarkı sözleri

Sanatçı: Prayas Rokde

albüm: Mamuli Khayal


होठों से निकल कर
रूह तक पहुँचना है ये बात तो तय है
सफर जो भी हो क्या फर्क़ है 'नभ'
इत्मीनान ना सही तो बामुश्किल हो जाएँ

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा
क्यूँ न कभी गुच्छा बन
एक खूबसूरत ग़ज़ल हो जाएं

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा

बंजर मैदानों पर
मुरझा कर दम तोड़ देना
(दम तोड़ देना, दम तोड़ देना)
बंजर मैदानों पर
मुरझा कर दम तोड़ देना
नहीं है, नहीं है, नहीं है अपनी फितरत
अब वक़्त है के मिल कर
एक लहलहाती फसल हो जाएँ

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा

पन्ने-किताबों में पड़े-पड़े
(पड़े-पड़े, पड़े-पड़े)
पन्ने-किताबों में पड़े-पड़े
ज़रा फर्जी से मालूम देते हैं
कभी होठों से छू ले कोई
(छू ले कोई, छू ले कोई)
कभी होठों से छू ले कोई
तो हम भी दर असल हो जाएँ

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा

दो पल रुक कर कोई राही
(राही, राही, कोई तो हो राही)
दो पल रुक कर कोई राही
कभी हम पे भी तो सजदा करे
दो पल रुक कर कोई राही
कभी हम पे भी तो सजदा करे
कभी हम भी तो संजीदा हो कर
इबादत की नसल हो जाएँ

बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा
बेहद मामूली से लगते
कुछ खयालों ने सोचा
क्यूँ न कभी गुच्छा बन
एक खूबसूरत ग़ज़ल हो जाएं

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