मशवरा है ये राह का छोड़ आ, तू पीछे डर किसी भी बात का कारवाँ, ये सारे तारों का ले जाएगा, खुद से मिलेगा तू जहाँ ♪ तो मैं भी चला हाँ ये देखने ज़रा हाँ नज़र बचाए खुद से मैं हूं छुपा कहाँ ♪ खुशनुमा रोशनी भरा धुआँ धीमी हवा भी कानों में रही ये गुनगुना तो क्या हुआ? दो पल जो तू रुका यहाँ ठहर ज़रा, तू ले ले सफ़र का भी मज़ा ♪ मगर ये रास्ता हाँ नहीं ये घर मेरा हाँ है जाना वहाँ खुद से मिलुंगा मैं जहाँ ♪ यहाँ-वहाँ, भी देखता हूं मैं जहाँ-जहाँ निशान नहीं मेरा कहीं किसे पता, थमेगा कब फ़ितूरी सिलसिला है बाक़ी, अभी तो मेरी हर नाराज़ी है मेरी ज़िद भी मुझसे राज़ी ख़तम जो होगी तो, मुझ पे ही मेरी ये बाज़ी आखिर, क्यूँ ज़ाहिर, ये ना फिर, मेरा पता या फिर मुसाफ़िर से शातिर है रास्ता हर एक शहर भटकता हूं फिरा मैं जिन डगर पर बटोरता मैं खुद को हुआ यहाँ-वहाँ
हर एक सफ़र उलझती शामों की सुलझती सहर ले जाएं सब, मुझे था जहां से मैं चला ♪ मशवरा है राह से मेरा है समझ आया, मुझे अब तेरा ये माजरा था यहीं खड़ा, मगर मैं ढूँढता फिरा ना जाने क्यूँ, मैं खुद को और ही जगह