इन लम्हों की हर डाली पर खिल गए फूल कई जब दिल से दिल मिल गए आँखें आँखों से कहने लगी हैं इक नई दास्ताँ हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है इन लम्हों की हर डाली पर खिल गए फूल कई जब दिल से दिल मिल गए आँखें आँखों से कहने लगी हैं इक नई दास्ताँ हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है साहिल पे जैसे आती हैं लहरा के मौजें दिल में आई हैं उमंगें भीगी हवाएँ गाती हैं मीठी सी धुन में जागी-जागी हैं तरंगें अजनबी जो कल मिले थे फ़ासले उनके कम हो गए हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है फूलों की रुत में भँवरे भी दीवाने से हैं कलियाँ खिलती हैं शर्मीली अब ज़िंदगी ने ओढ़ी है एक महकी-महकी ख़्वाबों की चादर रंगीली तुमसे मिल के, साथ चल के क्या से क्या देखो हम हो गए हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है इन लम्हों की हर डाली पर खिल गए फूल कई जब दिल से दिल मिल गए आँखें आँखों से कहने लगी हैं इक नई दास्ताँ हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है हल्के-हल्के रंग छलके, जाने अब क्या होने को है