शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको हाथ लिए गुड़गुडलद्दु सांई सुरवरको महिमा कहे न जाय लागत हूँ पादको जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव अष्टौ सिद्धि दासी संकट को बैरि विघ्नविनाशक मंगल मूरत अधिकारी कोटीसूरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव भावभगत से कोई शरणागत आवे संतत संपत सबही भरपूर पावे ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव जय-जय श्री गणराज विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता जय देव, जय देव