ढूंढता हूं वो रात मैं, जहां पे दिल ये उदास नही। ढूंढता हूं मुकाम मैं, जहां पे झूठे इनाम नही। है कोई उजाला क्या, जो रात को ही मिटा दे। है कोई हवाएं क्या, जो दौड़ को ही थमा दे। ढूंढता हूं वो राज मैं, जहां पे कोई ग़ुलाम नही। ढूंढता हूं संसार मैं, जहां पे खून का दाग नही। है कोई जगह क्या? जहां फ़ुर्सत है, जहां रहमत है, जहां सहमत है, आराम है। जहां सीरत है, जहां राहत है, जहां चाहत है, आराम है। ढूंढता हूं बाज़ार मैं, जहां पे प्यार का दाम नही। ढूंढता हूं निगाह मैं, जहां पे दर्द का नाम नही। ढूंढता हूं वो रात मैं, जहां पे दिल ये उदास नही। ढूंढता हूं वो रात मैं, जहां पे दिल ये...