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Rashmi Virag - Zindagi şarkı sözleri

Sanatçı: Rashmi Virag

albüm: Zindagi


ज़िंदगी, सुन मेरी बात तो ज़रा
ज़िंदगी था जो मेरी है कहाँ बता
एक भोला सा चेहरा, था बिल्कुल दुआओं जैसा
जाने कहाँ वो खो गया
जिसे छू लूँ तो लगता था, रब की पनाहों जैसा
जाने कहाँ वो खो गया
मेरे सफ़र का हमसफ़र
मुझसे ही अनजान था क्यूँ?
जिसके लिए सदियों रुका
दो पल का मेहमान था क्यूँ?

वक़्त की तरह मेरे हाथों से उड़ गया
मैं वहीं रहा, और वो आगे बढ़ गया
मेरे लिए तो सब कुछ था वो
अब कुछ ना रह गया
छोटी सी मेरी दुनिया था वो
मेरा घर ख़ाली हो गया

दिल अभी मेरा नहीं टूटा है ठीक से
है टीका हुआ बस एक उम्मीद पे
ख़्वाबों में आता है रोज़ जो
सच-मुच में आ जाए तो
तुम तोड़ देना पूरी तरह
कोई ग़लती जो फिर हो

ज़िंदगी, सुन मेरी बात तो ज़रा
ज़िंदगी से मेरी बात तो करा
साथ उसके बहूँगा मैं ठंडी हवाओं जैसा
दामन ना छोड़ूँगा कभी
मुझे एक बार, दस बार, १०० बार दे सज़ा तू
कुछ भी ना बोलूँगा कभी
सारी उमर, ओ, हमसफ़र
परछाई तेरी बनूँगा
ख़ुद को कभी देखोगे तो
मैं आईने में दिखूँगा

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