Kishore Kumar Hits

Osho Jain - Dheere Dheere şarkı sözleri

Sanatçı: Osho Jain

albüm: Dheere Dheere


जल रहे हैं जंगल और नदियाँ रो रही हैं धीरे-धीरे
लोग सड़कों पर हैं, दुनिया आपा खो रही है धीरे-धीरे
ना पड़ा फ़रक कभी जिन्हें, उन्हें भी पड़ रहा है धीरे-धीरे
जो पढ़ना चाहता है, वो भी लड़ रहा है धीरे-धीरे

शहर मचल रहे हैं, गुम हवाएँ हो रही हैं धीरे-धीरे
नफ़रतों के बीज दुनिया खुल के बो रही है धीरे-धीरे
ग़लत इरादों वाले बेनक़ाब हो रहे हैं धीरे-धीरे
ग़मों की रात में ख़ुशी के ख़ाब, वो सो रहे हैं धीरे-धीरे
धीरे-धीरे, धीरे-धीरे
धीरे-धीरे, धीरे-धीरे
धीरे-धीरे, धीरे-धीरे
धीरे-धीरे, धीरे-धीरे

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