मैं जब भी रोता हूँ मुझे वो बहुत यात आता है जैसे मुझे वो मनाता था अब कोई भी ना मनाता है खुद को जब मैं खोता हूँ मुझे वो बहुत यात आता है जैसे मुझे वो समझाता था अब कोई भी ना समझाता है क्या वो भी मुझे याद करता है? क्या वो भी अकेले में डरता है? क्या वो भी हर दिन थोड़ा मरता है? क्या पता! ♪ क्या पता! ♪ मैं जब भी नई राह चुनता हूँ मुझे वो बहुत यात आता है मैं जब भी नए ख्वाब बुनता हूँ मुझे वो बहुत यात आता है जैसे वो साथ निभाता था अब कोई भी ना निभाता है जैसे वो साथ में चलता था अब कोई भी ना चल पाता है क्या वो भी मुझे याद करता है? क्या वो भी अकेले में डरता है? क्या वो भी हर दिन थोड़ा मरता है?