वो आँखों में तेरी-मेरी जो बेमतलब है वो कुछ भी नहीं है, और वो ही सब है वो आँखों में तेरी-मेरी जो बेमतलब है वो कुछ भी नहीं है, और वही सब है वो आँखों में तेरी-मेरी जो बेमतलब है वो इश्क़ ही मेरा अब मज़हब है वो इश्क़ ही मेरा अब मज़हब है, मज़हब है ♪ वो दिखता नहीं है, पर देखने में वो अजब है तेरा मुझमें रहने-खोने का वो सबब है वो आँखों में तेरी-मेरी जो बेमतलब है वो इश्क़ ही मेरा अब मज़हब है वो इश्क़ ही मेरा अब मज़हब है (इश्क़ ही मेरा मज़हब है) (इश्क़ ही मेरा मज़हब है) ♪ इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है इश्क़ ही मेरा (इश्क़ मेरा) मज़हब है