दिल ने ना जाने क्यूँ ये फ़ासले चुने अँधियारे से सफ़र के सिलसिले बुने लहरों से उठते हैं क्यूँ ये १०० सवाल? पलकें ये झुकती हैं, क्यूँ है ये बला? दिल ने ना जाने क्यूँ ये फ़ासले चुने अँधियारे से सफ़र के सिलसिले बुने ♪ ज़हन में कैसी है ये हलचल? चैन के हैं नहीं दो पल यादों के धूप हैं ये, मुझ पे ऐसे बरसते हैं वस्ल के छाँव को ये मेरी आँखें तरसती हैं दिल ने ना जाने क्यूँ ये फ़ासले चुने अँधियारे से सफ़र के सिलसिले बुने