इत्तिफ़ाक़ है क्या मिलना तुम्हारा? वक्त कैसा बेपरवाह हाँ, चल पड़ा पीछे-पीछे तुम्हारे मैं भी संग बेपरवाह बेवजह हुई सारी वजह बेचैनियाँ, हैरानियाँ बदनामियाँ, १०० कहानियाँ सब कुछ हुआ बेपरवाह ♪ मोम-मोम सी मिल गई जगमग सी जल गई मुझ में है रोशन सी तू भोली-भाली भा गई यूँ छम-छम-छम छा गई यूँ मुझ पे बादल जैसी तू भीगता यूँ ही तेरी छाँव में रह जाऊँ बेपरवाह बह जाऊँ बेपरवाह मर जाऊँ बेपरवाह