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Julius Packiam - Zinda Hai şarkı sözleri

Sanatçı: Julius Packiam

albüm: Tiger Zinda Hai


सहरा, साहिल, जंगल, बस्ती, बाघ वो
शोला-शोला जलता चराग़ वो
हो, पर्वत, पानी, आँधी, अंबर, आग वो
शोला-शोला जलता चराग़ वो
हर काली रात से लड़ता है वो
जलता और निखरता है
आगे ही आगे बढ़ता है
जब तक ज़िंदा है
भीतर तूफ़ाँ अभी ज़िंदा है
जज़्बों में जान अभी ज़िंदा है
सागर ख़ामोशी में भी सागर ही रहता है
लहरों से कहता है, वो ज़िंदा है
भीतर तूफ़ाँ अभी ज़िंदा है
जज़्बों में जान अभी ज़िंदा है

रातों के साये में है वो छुपा
दुश्मन ना देखेगा कल की सुबह
कहाँ से आया वो, कहाँ है जाता
ना मुझको पता है, ना तुझको पता
हाँ, वो निहत्था ही शत्रु करता निरस्त
भेस बदलता वो, जैसे हो वस्त्र
जड़ से उखाड़ेगा, भीतर से मारेगा
उसका इरादा है ब्रह्मा का अंत्र
वो ज्ञानी है, है स्वाभिमानी वही
तू जानता उसकी कहानी नहीं
ज़िंदा है, ज़िंदा रहेगा वो
जब तक कि मरने की उसने ही ठानी नहीं

हैरत, ग़ुस्सा, चाहत और मलाल वो
ज़िद्दी, ज़िद्दी, ज़िद्दी ख़याल वो
है जंग भी, है वो हमला भी, और जाल वो
ज़िद्दी, ज़िद्दी, ज़िद्दी ख़याल वो
शोलों की आँख में रहता है
हर सच्ची बात वो कहता है
लावा सा रगों में बहता है
जब तक ज़िंदा है
भीतर तूफ़ाँ अभी ज़िंदा है
जज़्बों में जान अभी ज़िंदा है
सागर ख़ामोशी में भी सागर ही रहता है
लहरों से कहता है, वो ज़िंदा है
भीतर तूफ़ाँ अभी ज़िंदा है
जज़्बों में जान अभी ज़िंदा है

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