अजीब सी हैं ख़्वाहिशें, सपने भी सरफिरे अनसुना करे बातों को, दिल परवाह भी ना करे तोड़े जो सारे दायरे, शहर-शहर फिरे दौड़े कभी अरमानों पे, कभी ज़ोर से गिरे बहती तरंग है, खुद में मलंग है उड़ानें भरने दो, दिल तो पतंग है मन का उमंग है, खिलता सा रंग है जीने का इसका भी अपना ही ढंग है बहती तरंग है, खुद में मलंग है उड़ानें भरने दो, दिल तो पतंग है मन का उमंग है, खिलता सा रंग है जीने का इसका भी अपना ही ढंग है होना है जो, बस हो ही जाता है बन के धुआँ फिर खो ही जाता है ♪ ज़िंदगी भी क्यूँ खारी लगे है यूँ? उलझन का जैसे दरिया है लम्हे ये छोटे से जो साथ हैं मेरे ख़ुशियों का यही तो ज़रिया है गगन-गगन उड़ा है दिल अपने ख़यालों में मगन-मगन मसरूफ़ है अपने सवालों में दिन पर दिन दिल भी मेरा सीख रहा है जीने के राज़ ये ♪ होना है जो, बस हो ही जाता है बन के धुआँ फिर खो ही जाता है