तुम सामने मेरे रहो मुझे और क्या चाहिए? और रात से सवेरे हो मुझे और क्या चाहिए? आँखें करें दिल की बातें बयाँ और लफ़्ज़ों का ना काम हो एक-दूजे से फिर करें हम हया जब भी थोड़ा सा इक़रार हो और रात बस यूँ ही कटती रहे मुझे और क्या चाहिए? तुम सामने मेरे रहो मुझे और क्या चाहिए? ♪ फिर रात की करवटों में हम-तुम नज़दीक आएँ एक-दूजे की साँसों को महसूस करते जाएँ और बातें बस यूँ ही बढ़ती रहें मुझे और क्या चाहिए? तुम सामने मेरे रहो मुझे और क्या चाहिए? आँखें करें दिल की बातें बयाँ और लफ़्ज़ों का ना काम हो एक-दूजे से फिर करें हम हया जब भी थोड़ा सा इक़रार हो और रात बस यूँ ही कटती रहे मुझे और क्या चाहिए? तुम सामने मेरे रहो मुझे और क्या चाहिए?