Kishore Kumar Hits

Mayuresh Pai - Aao Mann Ki Gaanthe Kholein şarkı sözleri

Sanatçı: Mayuresh Pai

albüm: Antar Naad


शून्य में अकेले खड़ा होना पहाड़ की महानता नहीं, मजबूरी है
ऊँचाई और गहराई में आकाश-पाताल की दूरी है
जो जितना ऊँचा, उतना ही एकाकी होता है, हर भार को स्वयं ही ढोता है
चेहरे पर मुस्कान चिपका मन-ही-मन रोता है
कलाकार, वैज्ञानिक, गायक, संगीतकार, चित्रकार
और आप जैसे कविमन राजयोगी, राजनीतिज्ञ
और हर वो व्यक्तित्व जो अपने युग को
अपने समूचे जीवन की पहचान देने का सामर्थ्य रखता है
वो सबके पास, सबके साथ, और सब में रहते हुए भी
अपने-आप में नितांत अकेला होता है
आपकी कविता में मुझे वही अकेलापन नज़र आता है
शायद इसी कारण आपकी काव्य पंक्तियों को
अपनी स्वर देने की मुझे प्रेरणा मिली है
आपके संग्रह से कुछ चुनी हुई रचनाओं को स्वरवत कर मैंने उन्हें गाया है
मुझे आशा है, आपको पसंद आएँगे

मगंल भवन अमंगल हारी
द्रबहु सु दशरथ अजिर विहारी
कहहु तात अस मोर प्रनामा
सब प्रकार प्रभु पूरन कामा
दीन दयाल बिरद संहारी
हरहु नाथ मम संकट भारी
सिय राम मय सब जग जानी
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें

यमुना-तट, टीले-रेतीले, घास-फूस का घर डांडे पर
यमुना-तट, टीले-रेतीले, घास-फूस का घर डांडे पर
गोबर से लीपे आँगन में तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर
माँ के मुँह सें रामायण के दोहे, चोपई रस घोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें

बाबा की बैठक में बिछी चटाई, बाहर रखे खड़ाऊ
ओ, बाबा की बैठक में बिछी चटाई, बाहर रखे खड़ाऊ
मिलने वाले के मन में असमंजस, जाऊँ या ना जाऊँ
माथे तिलक, नाक पर ऐनक, पोथी खुली, स्वयं से बोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें

सरस्वती की देख साधना लक्ष्मी ने संबंध ना जोड़ा
ओ, सरस्वती की देख साधना लक्ष्मी ने संबंध ना जोड़ा
मिट्टी ने माथे का चंदन बनने का संकल्प ना छोड़ा
नए वर्ष की अगवानी में टुक-रुक लें, कुछ ताज़ा हो लें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें

यमुना-तट, टीले-रेतीले, घास-फूस का घर डांडे पर
यमुना-तट, टीले-रेतीले, घास-फूस का घर डांडे पर
गोबर से लीपे आँगन में तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर
माँ के मुँह सें रामायण के दोहे, चोपई रस घोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें
आओ, मन की गाठें खोलें

आओ, मन की गाठें खोलें

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