Kishore Kumar Hits

Agam Kumar Nigam - Khatam Karta Hoon Par Khatam Hota Nahin Hai şarkı sözleri

Sanatçı: Agam Kumar Nigam

albüm: Bewafaai Ka Aalam


ख़त्म करता हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है
ख़त्म करता हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानता हूँ
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानता हूँ
पर अब तलक दिल उसी से मिला है
ख़त्म करती हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानती हूँ
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानती हूँ
पर अब तलक दिल उसी से मिला है
ख़त्म करता हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है

जब ये लगे, अब उसको भूल गया
तो चुपके से आ जाती हैं यादें
कुछ दिन मैं ख़ामोश तो रहता हूँ
पर कुछ दिन में हो जाती हैं बातें
जब ये लगे, मैं उससे दूर हुई
तो ख़्वाबों में उसके पास गई
क्या मैं बोलूँ, बेचैनी का आलम
करवट-करवट सारी रात गई
दर्द बढ़ता है, पर दर्द होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है
दर्द बढ़ता है, पर दर्द होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है

जब ये लगे, अब उसका नाम ना लूँ
तो दिल ये लिख देता १०० अफ़साने
पल-पल धोखे खाए जिससे हमने
शायद अब भी हैं उसके दीवाने
जब ये लगे ना उससे और मिलूँ
तो मिलने को दिल करता है ज़्यादा
भूल से उसके पास अगर पहुँची मैं
तो लेकर आती एक टूटा वादा
चोट लगती है, पर ज़ख़्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजीब सिलसिला है
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानती हूँ
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानती हूँ
पर अब तलक दिल उसी से मिला है
ख़त्म करता हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानता हूँ
वो बेवफ़ा है, ये मैं जानता हूँ
पर अब तलक दिल उसी से मिला है
ख़त्म करती हूँ, पर ख़त्म होता नहीं है
मोहब्बत भी कितना अजीब सिलसिला है
मोहब्बत भी कितना अजब सिलसिला है

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