हो, क्या है कसूर मेरा जो दिल से उतर गया? मुड़के भी ना देखा मुझे तुमने इक दफ़ा जैसे गई हो... जैसे गई हो, जाता है क्या कोई ऐसे छोड़ के? दिल तोड़ के हँसती हो मेरा वफ़ाएँ मेरी याद करोगी ओ, मन भर गया है जो हमसे सारे रिश्ते तोड़ देंगे जिस दिन आदत बनेगे, उसी दिन ही छोड़ देंगे दिल लगाने के लिए चले जाना ग़ैरों के तुम बाँहों में ओ, फेर लो मुझसे आज निगाहें क़दर मेरे बाद करोगी ओ, दिल तोड़ के हँसती हो मेरा हँसने ना देंगे तुम्हें ये रोने ना देंगे पल-पल वादे याद आएँगे, सोने ना देंगे