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Parthiv Gohil - Aisi Mhari Preet (Eternal Love) - Sabr şarkı sözleri

Sanatçı: Parthiv Gohil

albüm: Aisi Mhari Preet (Eternal Love) [Sabr]


ऐसी म्हारी प्रीत निभावजो
हो निर्धन का हो राम
ऐसी म्हारी प्रीत निभावजो
हो दुर्बल का हो राम
भवसागर में भूलो मति
तम तो झरकत हम बेलादी
रंगा तम से लिपटाये
टैम तो ढलदो ने हम सूखी जावां
म्हारा कै हो हवाल?
ऐसी म्हारी प्रीत निभावाजो
तम तो समदर हम मछली
रंगा तमारा हो माय
तम तो सुखो ने हम मारी जावां
म्हारा कै हो हवाल?
ऐसी म्हारी प्रीत निभावाजो
तम तो बादल हम मोरिया
रंगा टैम से जुड़ें
रंगा टैम से हरकाए
तम तो गरजो ने हम बोलिया
तम तो बरसो ने हम बोलिया
म्हारा कै हो हवाल?
ऐसी म्हारी प्रीत निभावाजो
काहे हो कबीर धर्मीदास से
पियौ थारा घट मय
पियौ हृदय धड़काए
ऐसी म्हारी प्रीत निभावाजो
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो
जैसे गरीबों के पास अपने राम के अलावा कोई नहीं है
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो
जैसे कमज़ोरों के पास अपने विश्वास के अलावा कुछ नहीं है
मुझे इस जीवन-सागर में अकेला मत छोड़ो
तुम वृक्ष हो और मैं लता
मैं तुम्हारे आलिंगन में रहूँगा
तुम सूखोगे तो मैं भी सूख जाऊँगा
तुम्हारे बिना मेरा क्या होगा?
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो
तुम समुद्र हो, और मैं मछली
मैं तुममें डूबा रहूंगा
यदि तुम सूख जाओगे तो मैं भी मर जाऊँगा
मैं तुम्हारे बिना क्या होता?
मेरे प्रति सच्चे रहो प्रिय
तुम बादल हो, मैं मोर
मैं आपसे जुड़ा हूं
मुझे आपसे बहुत खुशी मिलती है
जब तुम बरसते हो तो मैं गाता हूँ, नाचता हूँ
मैं तुम्हारे बिना क्या होता?
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो
कबीर कहते हैं, हे धरमदास!
प्रियतम आपके शरीर के भीतर है
प्रियतमा तो आपकी अपनी धड़कन है
मुझे इस जीवन-सागर में अकेला मत छोड़ो
मेरे प्यार के प्रति सच्चे रहो

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