कैसा पिता का प्यार है, नपाई से है ये आपार एकलौता बेटा देकर है, मुझ नीच का किया उद्धार ♪ कैसा पिता का प्यार है, नपाई से है ये आपार एकलौता बेटा देकर है, मुझ नीच का किया उद्धार कितना बड़ा वो दर्द था, पिता भी जो मुँह फेर लिए हर घाव जो येशु ने सहा, लाया संतान महिमा के ♪ देखो उसे जो क्रूस पर, काँधों पर उसके मेरा पाप लाज भरी मेरी आवाज़, तिरस्कारी दुष्टों के साथ जकड़े उसे था मेरा पाप, जबतक हासिल ना हुआ उद्धार मेरी जान लाई बुझती साँस मैं जानूँ काम हुआ समाप्त ♪ घमंड मेरा कुछ भी नहीं ना तौफ़े बल या बुद्धि में गर्व करूँ सिर्फ़ येशु के मृत्यु पुनरुत्थान में क्यूँ पाऊँ मैं उसका इनाम? इसका कोई उत्तर नहीं पर समझे मेरे दिल-ओ-जान, उन घावों ने चुकाया है दाम ♪ क्यूँ पाऊँ मैं? क्यूँ पाऊँ मैं उसका इनाम? इसका कोई उत्तर नहीं पर समझे मेरे दिल-ओ-जान, उन घावों ने चुकाया है दाम