मोहब्बत में ज़रूरत से ज़्यादा शराफ़त अच्छी नहीं होती आशिक़ी में ज़रुरत से ज़्यादा मोहब्बत अच्छी नहीं होती ♪ शीशे के घर में रहते हो तुम समझोगे क्या तुम मुझे है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे? है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे? ♪ था बड़ा ही आशिक़ाना अपना अफ़साना तेरी गली मेरा आना, जल गया ज़माना अनदेखा सब कुछ करते हो तुम समझोगे क्या तुम मुझे है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे? है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे? ♪ वो रस्में और कसमें भी तुमने ना निभाई जिसे निभाने के लिए हम हुए हरजाई चाहत को नफ़रत कहतो हो तुम समझोगे क्या तुम मुझे है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे? है इश्क़ वादा, सौदा नहीं है समझाऊँ कैसे तुझे?