तेरी हर अदा से वाकिफ हूँ मैं मुझसे छुपा न कोई राज़ है मुझको सुनाई देती है वो गुमशुम जो आवाज है मैं जनता हूँ तेरी ना में एक छुपी हुई सी हां है में जानता हूं तेरी ना में एक छुपी हुई सी हां है यूँ बेवजह मिलके मुस्कुराना बिन कुछ कहे सब बोल जाना करना इशारा बाते बनाना सब्र को मेरे यूँ आजमाना बेरंग ख्वाबों को रंगत देगी आहट तेरे इजहार की महसूस होगी कभी न कभी तो तुझको तड़प मेरे प्यार की मैं जानता हूं तेरी ना में एक छुपी हुई सी हां है