तुझ बिन मेरी क्या रात, क्या सुबह तेरे बिन ये मौसम का लूँ क्या मज़ा तू ही नहीं तो मैं भी हूँ क्या? अब आ भी जा बस देखूँगा तुझे, चाहे बात हो न हो समा लूँगा खुद में, हाथों में हाथ हो न हो बना लूँगा अपना, फ़िर मुलाक़ात हो न हो अब आ भी जा जब देखा पहली बार, थी चाँदनी रात मेरे दिल से निकले कई ऐसे जज़्बात जिन्हें समझ ना पाया, ना सोया, ना कुछ खाया होश खो दिए, मुझे चैन ना आया बस चेहरा तेरा मेरी आँखों में सवार तुझे ढूँढूँ कहाँ? बस था यही सवाल ये जुनून ना कभी महसूस किया मेरी साँसें तो थी, पर एक पल ना जिया बस सोचूँ उस दिन का, जब जाएँगे drive पर in my car Few drinks के लिए रुक जाएँगे किसी classy से bar सब हमें देखेंगे, पर मैं तो तुझे ले जाऊँगा सब से far बस you and me, सोचूँ मैं यही मेरे दिल से क्यूँ ना जाएँ तेरे ख़याल? (तेरे ख़याल) तुझ बिन मेरी क्या रात, क्या सुबह तेरे बिन ये मौसम का लूँ क्या मज़ा तू ही नहीं तो मैं भी हूँ क्या? अब आ भी जा तुझ बिन मेरी क्या रात, क्या सुबह तेरे बिन ये मौसम का लूँ क्या मज़ा तू ही नहीं तो मैं भी हूँ क्या? अब आ भी जा बस देखूँगा तुझे, चाहे बात हो न हो समा लूँगा खुद में, हाथों में हाथ हो न हो बना लूँगा अपना, फ़िर मुलाक़ात हो न हो (मुलाक़ात हो न हो) अब आ भी जा (अब आ भी जा)