आँखों ही आँखों में कह दो ना तुझे मुझ से मोहब्बत हुई है बातों ही बातों में कह दो ना तुझे मेरी ज़रूरत होने लगी है तेरा इशारा काफ़ी है, तेरा नज़ारा काफ़ी है सारे ग़मों को भुलाकर जी लूँ मैं ज़िंदगी आँखों ही आँखों में कह दो ना तुझे मुझ से मोहब्बत हुई है ऐसा लगे तू जैसे अपना है या ये कोई अनदेखा सपना है जो हक़ीक़त बदलने लगा दिल में मेरे तू ही तो रहता है अब क्यूँ भला दिल मुझ से कहता है? तू है तो है मेरा जहाँ तेरी नादानियाँ, तेरी मदहोशियाँ तेरी तनहाइयाँ अब मेरी हुई तू मेरे पास हो, तू मेरे साथ हो ऐसी हर रात हो तेरी-मेरी तेरा इशारा काफ़ी है, तेरा नज़ारा काफ़ी है सारे ग़मों को भुलाकर जी लूँ मैं ज़िंदगी आँखों ही आँखों में कह दो ना तुझे मुझ से मोहब्बत हुई है बातों ही बातों में कह दो ना तुझे मेरी ज़रूरत होने लगी है