ओ, रहबरा, मेरी मोहब्बत बेसबर ढूँढे है तुझको दर-ब-दर राहों में मुझको छोड़ कर क्यूँ पूछता मेरे अरमानों की ख़बर? बैठा जब ख़ुद को तोड़ कर तन्हा तू पिछले मोड़ पर जब गुनगुनाती चले वो पावन हवा मेरे कानों में आके कहती सदा "क्यूँ है यादों में पागल, ओ, बेज़ुबाँ? या तो कह दे, या ख़ुद से कर ले सुलाह" ♪ वो रोग ही है, जो दिल बस दोष गिनाता है जो भीड़ में लोगों को तन्हा कर जाता है ना छोड़ तू अफ़साने झँझोड़ के, ओ, सजनी कलियों की मोहब्बत में भँवरा भी तो गाता है आके ज़रा मेरी बाँहों को ले जकड़ अपना ले फ़िर से वो सफ़र छोड़ा जो पिछले मोड़ पर ओ, रहबरा, मेरी मोहब्बत बेसबर ढूँढे है तुझको दर-ब-दर राहों में मुझको छोड़ कर