बे-आसरा क्यूँ भटके, ऐ दिल? अब राह मिलना मुश्किल है, दिल ना कोई खिड़की, ना कोई दर अब घर का बनना मुश्किल है, दिल जो चले थे संग, थे हमसफ़र वो बिछड़-बिछड़ गए कहीं जो मिले थे रंग, उड़े बे-फ़िकर वो बिखर-बिखर गए क्या पता, किधर गए हाथों से छूटा रे, फिर से दिल टूटा रे कैसे मैं दिल को बसाऊँ? टुकड़े-टुकड़े ख़ुद के, कैसे फिर जोड़ूँ रे? कैसे मैं दिल को मनाऊँ? वो जो चाँद तेरे लिए था बना जो ज़मीं पे तेरे लिए था बसा वो जो ख़्वाब तेरे लिए था बुना खो गया, दर-ब-दर हो गया ♪ Mmm, जो चले थे संग, थे हमसफ़र वो बिछड़-बिछड़ गए कहीं जो मिले थे रंग, उड़े बे-फ़िकर वो बिखर-बिखर गए क्या पता, किधर गए ♪ ओ, हाथों से छूटा रे, फिर से दिल टूटा रे कैसे मैं दिल को बसाऊँ? टुकड़े-टुकड़े ख़ुद के, कैसे फिर जोड़ूँ रे? कैसे मैं दिल को मनाऊँ?