पवित्र भूमि भारती की माटी पे तू जन्मा रूप है तू नारसिंह का चरित्र तेरा तारिखे भी गर्व से लिखेंगी चमकता रहे तू सूर्य सा मृत्यु ने ही तुझको लम्बी उमर है दे दी सदा को है अमर, तेरी ये कथा आसमान भी झुक के प्रणाम तुझको करता तू आया है यहाँ नयी सी सुबह सा हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा सवेरा तेरी साँसों में बसा हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा अंधेरा तेरे आने से हटा घमंडी से फिरंगियों के आगे हिम्मतों से तू दहाडता झुके-झुके डरे हुवें सरों पे वीरता का मंत्र झाडता ललकार तू जो ये कहती है माटी के लिए हर सांस को निछावर कर दो ना बूंद बूंद करके इतने लोग तूने जोडे समुद्र वीरता का है बना प्रचंड आंधी बनके जो की दुनिया को हिला दे फिरंगियों के ज़ुल्म से लडा ये पेहली है लडाई जो जनता ने है छेडी यूं बिजिली की तरह गरज रही सदा गुलामी के अंधेरों को राख में मिलाने मशालों की तरह सुलग सुलग रहा हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा सवेरा तेरी साँसों में बसा हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा अंधेरा तेरे आने से हटा दास बनके जीने से अच्छा है युद्ध में ही लड-लड कर मर जाए हम मुश्किलों से मिला है मनुष्य का जनम इसमें क्यूँ हम सहें ये सितम भाई, बंधू, सखा, पुत्र, माँ और बहिन भूलकर के आगे बडते जायें हम हो दिखे एक पर बनें लाख हम लक्ष्य की तरफ बढें कदम युद्ध भूमि जाओ, युद्ध भूमि जाओ सारे सिंह बनके, सारे सिंह बनके शूर है तू (शूर है तू) वीर है तू (वीर है तू) दुश्मनों को अब जडों से तुम उखड दो हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा... हो सै रा सवेरा तेरी साँसों में बसा