हमसे पूछो कि ग़ज़ल क्या है या ग़ज़ल का फ़न क्या चंद लफ़्ज़ों में कोई आग छुपा दी जाए वो ग़ज़ल हो, गीत हो या सूफ़ी गायकी Art के हर form में जब तक छुपी हुई वो आग नहीं होती तब तक बात नहीं बनती Pooja Gaitonde चाहे ग़ज़ल गाए या सूफ़ी कलाम मुझे उसकी गायकी में उस एक छुपी हुई आग का एहसास होता है किसी फ़नकार को introduce करना, उसका तआ'रुफ़ करवाना उसकी तारीफ़ करने से भी कही ज़्यादा मुश्किल होता है क्योंकि फ़नकार की तारीफ़ तो आप उसका फ़न देखकर या सुनकर करते हैं लेकिन उसके तआ'रुफ़ में, उसके introduction में उसके फ़न और शख़्सियत दोनों का इज़हार होता है फ़न और शख़्सियत, art and personality का ख़ूबसूरत संगम जिस मक़ाम पर होता है, वही फ़नकार का तआ'रुफ़ होता है वही उसका introduction होता है गले को साद कर आवाज़ को निकाल जा सकता है अनथक रियाज़ करके, सुर पक्के किये जा सकते हैं अछी शायरी, अच्छा कलाम गायकी में चार-चाँद लगा सकता है लेकिन जब तक उसमें वो तपिश शामिल नहीं होती जो फ़नकार के वजूद की गहराइयों से निकलकर आती है तब तक वो रूह में नहीं उतर सकती Pooja Gaitonde एक ऐसी फ़नकारा एक ऐसी singer है जिसमें उसके फ़न और शख़्सियत उसके art and personality का ख़ूबसूरत संगम नज़र आता है