रात यूँ दिल में तेरी खोई हुई याद आई जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए जैसे सहराओं में हौले से चले बाद-ए-नसीम जैसे बीमार को बेवजह क़रार आ जाए ♪ दिल धड़कने का सबब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया वो तेरी याद थी, अब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया वो तेरी याद थी, अब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया ♪ आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त आज मुश्किल था सँभलना, ऐ दोस्त तू मुसीबत में अजब याद आया तू मुसीबत में अजब याद आया वो तेरी याद थी, अब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया ♪ शेर मुलाज़ा फ़रमाएँ हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन हाल-ए-दिल हम भी सुनाते, लेकिन जब वो रुख़्सत हुए तब याद आया जब वो रुख़्सत हुए तब याद आया वो तेरी याद थी, अब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया ♪ ग़ज़ल का मक़्ता पेश-ए-ख़िदमत है Nasir Kazmi की ग़ज़ल है बैठ कर साया-ए-गुल में, नासिर बैठ कर साया-ए-गुल में, नासिर बैठ कर साया-ए-गुल में, नासिर हम बहुत रोए वो जब याद आया हम बहुत रोए वो जब याद आया वो तेरी याद थी, अब याद आया दिल धड़कने का सबब याद आया दिल...