कोई हो यादों में पलकों पे बूंदें लिए आईना बनी ये आँखें तेरी धीमी सी खुशबू है हावाओं के झोकों ने जो छुके तुझे चुराई ♪ साँसों की राहों में क्या मिल सकेंगे कभी ढूंढे तुझे निघाएँ मेरी साथी थे जन्मो से राहों में क्यू क्यूँ गए मंज़िल हमें बुलाने लगी ♪ नगमा हो भीगा सा या तुम हो कोई ग़ज़ल हर पल जिस गुनगुनाता रहूँ होटों से होले से सरगम जो बेहने लगी आने लगी चाहें मेरी