ओ बन्देया, ओ बन्देया! ओ बन्देया, ओ बन्देया! ओ ओ बन्देया, ओ बन्देया! तेरी मंजिलें हुई गुमशुदा फिर भी रास्ता है तेरा मेहेरमां ओ मीर-ए-कारवां तेरी राहों पे रवां के मेरे नसीबों में हो कोई तो दुआ ओ मीर-ए-कारवां ले चल मुझे वहाँ ये रात बने जहाँ सुबह मीर-ए-कारवां ओ मीर-ए-कारवां ओ बस कर दिल अब, बस कर भी हो ओ ओ बस कर दिल अब, बस कर भी उस राह मुझे जाना ही नहीं पल दो पल का साथ सफर फिर होगी जुदा रहगुज़र नदियाँ थाम के जो बहते रहे मिलते हैं वो किनारें कहाँ ओ मीर-ए-कारवां तेरी राहों पे रवां के मेरे नसीबों में हो कोई तो दुआ ओ मीर-ए-कारवां ले चल मुझे वहाँ ये रात बने जहाँ सुबह मीर-ए-कारवां ओ मीर-ए-कारवां बहार क्यूं तेरे दर न आती है क्या भरम जो नज़र दिखाती अब और कितनी ये रात बाकी है रात बाकी, ये रात बाकी निग़ल न जाएं तुझे ये साए गले में घुटती हैं सर्द आहें बता ओ बन्दे क्यूं मात खाए क्यूं मात खाए रे हाँ लागे ना दिल अब लागे नहीं हाँ, लागे ना दिल अब लागे नहीं मेरे पैरों तले निकली जो ज़मीन इस बस्ती में था मेरा घर उसे किसकी लगी फिर नज़र वो जो सपनों का था काफ़िला ऐसा झुलसा की अब है धुआं ओ मीर-ए-कारवां तेरी राहों पे रवां के मेरे नसीबों में हो कोई तो दुआ ओ मीर-ए-कारवां ले चल मुझे वहाँ ये रात बने जहाँ सुबह मीर-ए-कारवां चल अकेला राही चल चल अकेला राही हाफ़िज़ तेरा इलाही हाफ़िज़ तेरा इलाही चल अकेला राही चल चल अकेला राही हाफ़िज़ तेरा इलाही हाफ़िज़ तेरा इलाही चल अकेला राही चल चल अकेला राही हाफ़िज़ तेरा इलाही हाफ़िज़ तेरा इलाही चल अकेला राही चल चल अकेला राही हाफ़िज़ तेरा इलाही हाफ़िज़ तेरा इलाही