पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता... जाने ना जाने, गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता... कोई किसी को चाहे तो क्यों गुनाह समझते हैं लोग? कोई किसी की ख़ातिर तड़पे अगर तो हँसते हैं लोग बेगाना आलम है सारा यहाँ तो कोई हमारा दर्द नहीं पहचाने हैं पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता... चाहत के गुल खिलेंगे चलती रहें हज़ार आँधियाँ हम तो इसी चमन में बाँधेगे प्यार का आशियाँ ये दुनिया बिजली गिराए, ये दुनिया काँटे बिछाए इश्क़, मगर, कब माने है पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता... दिखलाएँगे जहाँ को कुछ दिन जो ज़िंददगानी है और कैसे ना हम मिलेंगे हमने भी दिल में ठानी है और अभी मतवाले दिलों की मोहब्बत वाले दिलों की, बात कोई क्या जाने है पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता... जाने ना जाने, गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है पत्ता-पत्ता...