Kishore Kumar Hits

Vincent Boral - Kasoor (Acoustic) şarkı sözleri

Sanatçı: Vincent Boral

albüm: Kasoor (Acoustic)


हाँ, मैं गुमसुम हूँ इन राहों की तरह
तेरे ख़्वाबों में, तेरी ख़्वाहिशों में छुपा
ना जाने क्यूँ है ये रोज़ का सिलसिला
तू रूह की है दास्ताँ
तेरी ज़ुल्फ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?

क्यूँ ये अफ़साने इन लम्हों में खो गए?
हम घायल थे, इन लफ़्ज़ों में खो गए
थे हम अंजाने, अब दिल में तुम हो छुपी
हम हैं सहर की परछाइयाँ
तेरी साँसों की रात है
तेरी होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?

तेरी ज़ुल्फ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
तेरी साँसों की रात है
तेरी होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?
क्या क़सूर है मेरा?

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