इधर जाऊँ, उधर जाऊँ कशमकश में हूँ मैं, किधर जाऊँ? मुझ को बता दे, मेरे मौला ख़त्म 'गर हो गया सफ़र, जाऊँ ♪ दिल में चुभने लगा है ख़ार कोई पड़ गई है कहीं दरार कोई मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया जैसे काग़ज़ पे इश्तिहार कोई दिल में चुभने लगा है ख़ार कोई पड़ गई है कहीं दरार कोई मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया जैसे काग़ज़ पे इश्तिहार कोई ♪ कौन समझेगा रोक रखा है मैंने पलकों पे आबशार कोई? छोड़ जाने दे, करके गुज़रा है मेरे ख़ाबों को तार-तार कोई मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया जैसे काग़ज़ पे इश्तिहार कोई ♪ चाहता हूँ मैं, पर नहीं रहती मुझ को मेरी ख़बर नहीं रहती मैं हूँ ऐसी कि जश्न से पहले टूट जाता है जैसे हार कोई मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया जैसे काग़ज़ पे इश्तिहार कोई दिल में चुभने लगा है ख़ार कोई पड़ गई है कहीं दरार कोई मुझ को पढ़कर वो ऐसे भूल गया जैसे काग़ज़ पे इश्तिहार कोई