राम से अनुराग करिए है कलश अमृत भरा, ये तीर्थ में प्रयाग जो राम से अनुराग करिए।। जीव में धड़कन वही है, अग्नि में है आग जो भक्ति की गंगा है बहती, नित बसंत फाग जो राम से अनुराग करिए।। शक्ति के हैं पुंज वो तो, मोह संग वैराग जो राम में अनुरक्त रहिए, वस्तु में है स्वाद जो राम से अनुराग करिए।। सत्य की कुंजी वही है, कर्म के संग त्याग जो क्षीर में है नीर गोरस, भोज में प्रसाद जो राम से अनुराग करिए।। सृष्टि में जो कुछ समाहित, है वही एक स्वाद जो राम है बस राम प्राणी, कुछ नहीं विवाद जो राम से अनुराग करिए।। जन्म में है राम जय जय, मृत्यु में संवाद जो नारायण बस राम सुमिरो, मोक्ष का है नाम जो राम से अनुराग करिए।। है कलश अमृत भरा, ये तीर्थ में प्रयाग जो राम से अनुराग करिए।।