हल्का हल्का सा गुमा है जाने क्या मुझे हुआ है हर नज़र दर बदर अजनबी हुमको भी यही गीला है जो भी आज कल मिला है हर कदम दूं बादाम अजनबी इस तरफ जो है उदासी इस तरफ भी है ज़रा सी दिल की राहों के दो अजनबी अंजाना कहने को ही था मेरा था वो जो भी था अंजानी है मगर नयी के तू है यहीं कहीं जब से जाना के अब ना जाना है फिर कभी भी तुझे चाहतो से किनारा कर लिया जब से सोचा के अब ना सोचेंगे फिर कभी भी तुम्हे दिल ने कोई बहाना कर दिया हो मेरे तुम्हारे दरमियाँ में जो बातें हुई नही हैं कभी दुआ में, कभी ज़ुबान में क्यूँ तुमने कहीं नहीं हैं कहने को तो क्या नहीं है दर पे हर खुशी खड़ी है फिर भी क्यूँ लग रही है कमी अंजाना कहने को ही था मेरा था वो जो भी था अंजानी है मगर नयी के तू है यहीं कहीं ए मेरे खुदा, दूर कहीं क्या हो रही है सुबह मिल गयी मुझे, मिल गयी तुझे वहाँ जीने की फिर वजह तू जो कह दे तो मंज़िलें मिल जायें यूँ आज फिर हमें तेरे मेरे यह रास्ते लग जाए यूँ आज फिर गले मिल भी तू तेरे फिराने दौड़ती हूँ उस किनारे हैं जहाँ पे मेरा अब जहाँ अंजाना कहने को ही था मेरा था वो जो भी था अंजानी है मगर नयी के तू है यहीं कहीं अंजाना कहने को ही था मेरा था वो जो भी था अंजानी है मगर नयी के तू है यहीं कहीं