तस्वीर से यूँ मुस्कुराते हो जैसे आके हमें सहलाओगे वैसे तो सबकुछ है तुमसे मिला फिर भी कितना कुछ था बाक़ी कहना अब तो हर पल, हर लम्हा पूछे "जाँ था तू, अब तेरे बिन जियूँ कैसे?" आजकल सपने हमें दिखते नहीं आजकल दिन हैं के जो कटते नहीं आजकल आसाँ नहीं रहे रास्ते फिर भी टुकड़ों में जीते हैं आजकल ♪ क्या है क़ौम तेरी? क्या मज़हब है तेरा? जब इंसानियत से ही तू अंजान है भाई था, दोस्त था, बेटा था वो किसी की निशानी थी, किसी की पहचान था वो अब तो हर पल, हर लम्हा पूछे "जाँ था वो, अब उसके बिन जियूँ कैसे?" आजकल सपने हमें दिखते नहीं आजकल दिन हैं के जो कटते नहीं आजकल आसाँ नहीं रहे रास्ते फिर भी टुकड़ों में जीते हैं आजकल ♪ आजकल सपने हमें दिखते नहीं आजकल दिन हैं के जो कटते नहीं आजकल आसाँ नहीं रहे रास्ते फिर भी टुकड़ों में जीते हैं आजकल