धूप ने लिखा खिड़कियों पे कल सब पहेलियों का सही से हल कई अँधियों से था अपना वास्ता जिन की वजह से था धुँधला रास्ता लहर सीने में उठ रही है इकआग की अभी सहर आने वाली नई है उम्मीद से भरी उँगलियाँ उठाते हैं क्यूँ भला? दूसरों पे, खुद पे ना हम यहाँ जज़्बा रगों में होने लगा रवाँ पहुचेगा हर दिशा अपना ये जहाँ शमा है जली दिलों में अभी शमा है जली, बुझी ना कभी ज़मी जुनून हो, यही सुकून हो ज़मी जुनन हो... ♪ डर से हार के टूटे जो अगर दिल का हौसला याद करना फिर घुटनों से ही उठ के था तू चला बढ़ने लगा है सूरज ये सोच का पहुचेगा हर दिशा अपना ये जहाँ शमा है जली दिलों में अभी शमा है जली, बुझी ना कभी ज़मी जुनून हो, यही सुकून हो ज़मी जुनन हो... ज़मी जुनून हो, यही सुकून हो ज़मी जुनन हो...