Ooh, Bharg cooked another one ♪ कोरे ख़्वाबों का ये घराना (क, ख, ग) मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न) टूटे दिलों का ये तराना मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न) मगन हूँ मैं जी रहा हूँ अपने दूसरे जानम में सिर्फ कला ही है धरम जो की लेती मुझे शरण में सिर्फ कला ही है धरम और मैं लेटा उसके चरण में ऊपर वाले का पता नहीं, विश्वास मुझे करम में पहला जनम, मोटे छेद मेरे छाते में दूसरा जनम काटे जो भी झूठे रिश्ते-नाते थे जो भी फ़र्ज़ी ये वादे थे, काले जिनके इरादे थे अब ध्यान मेरा काम पे, इनाम आता खाते में तो आना कभी नाके में टूटी दिलों की नगरी में बसायेंगे ठिकाना इस शहर की अफ़रा-तफ़री से दूर जहाँ ज़िंदगी जीने का है फ़ितूर वहाँ होके मगन चढ़ेगा शुरूर कोरे ख़्वाबों का ये घराना (क, ख, ग) मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न) टूटे दिलों का ये तराना मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न) वो कहते एक उँगली कर किसी पे, चार उँगली तेरी तरफ़ (तेरी तरफ़) मैं मगन हूँ सिर्फ उन चार उँगलियों में भूल गया हूँ वो पाँचवी थी किसकी तरफ़ तरफ़दारी नहीं जब मैं पूछूँ; कौन मेरी तरफ़? ना कि कौन मेरी तरह मदद है हाज़िर चाहे हो ना तेरी कौम मेरी तरह पर कम अकल हैं वो जिसे कभी ना अपना बाँटे दर्द और कम अकल हैं वो सुन के भी ना पाते हैं समझ में सोचूँ कि मैं सोच नहीं पा रहा सोचूँ या फिर मैं सोचूँ ज़्यादा इस कशमकश की डूबी कश्ती में है वास है बसा लिया इन गीले कोरे काग़ज़ों में गाँव हमने कोरे ख़्वाबों का ये घराना (क, ख, ग) मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न) टूटे दिलों का ये तराना मोरे गाँव के निकट आना (म, ग, न)