Kishore Kumar Hits

The Khalnayak - Marne Ki Aadatein şarkı sözleri

Sanatçı: The Khalnayak

albüm: Marne Ki Aadatein


सूनी-सूनी हवाओं की, छुपी-छुपी कहावते हैं कई
महसूस मैं जो कर रहा, क्या वो मुझमें ही बसता है कहीं?
एहसास जो दिल में आया है
पल-पल ये धड़कन को रोके है
समझाऊं दिल को वो माने ना
लगते ये दुनिया के धोखे हैं
मेरी ग़म की लकीरें बना दे
कोई खूबसूरत सी
जिसे देखूँ तो भर जाएं आँखें
और मर लूँ ज़िंदगी
मेरे अश्कों में मुझको डूबा दे
साँसें भर लूँ मैं थोड़ी
मेरे घर में ही कांटे सजा दे
मुझे मरनी की आदतें हैं लगीं
ओस कोई नई
झील में गिरे
और फिर वो कहीं गुम हो जाती है
ढूंढे जो खुद को खुद में ही ऐसे
धड़कने ही नज़रें बन जाती हैं
फिर दूर परछाई नज़र आती है
पहुंचूँ कैसे मैं वहाँ?
जितना करीब उसको देखूँ मैं
उतना ही दूर लग रहा
मेरे शीशे ज़मी पे गिरा दे
बन जाएं दिन सभी
जिसे देखे तो किस्मत भी हँसीं दे
देख अपनी ज़िंदगी
मेरे दर्दों को इतना बढ़ा दे
ज़ख़्म तरसे हर घड़ी
रोशनी से तू डरना सीखा दे
मुझे मरनी की आदतें हैं लगीं

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