परछाइयाँ दूर हो गई लिखे जो नाम हाथ पे, लक़ीरें खो गई माँगी जो दुआ, मैं तो ख़ारिज हुआ क्यूँ मेरी दुआ ये क़ुबूल ना हुई? राँझा, अब तू हीर को इतना दे बता ढूँढूँ तुझको कहाँ-कहाँ, मिल जा, ना सता कहानी ऐसी के हर ज़ुबाँ पे तेरा-मेरा नाम तेरी हो जाऊँ, हो जाऊँ बदनाम मिर्ज़ा, तुझको ढूँढ के मैं लाऊँ मेरी दुनिया को तुझपे ही लुटा दूँ राँझणा, हीर बणके मैं मनाऊँ साहेबा बणके वारी-वारी जाऊँ ♪ रातें काटे, सपनों में बातें ज़िंदगी यहाँ पे राहें निहारे पलकें झपकते तुझको ही देखूँ रुक जाए आसमाँ, टूटते सितारे सपना अब तू हक़ीक़त में बदल के बता आजा तू सामने, क्यूँ है ख़फ़ा? इंतज़ार तेरा सदियों से रहा मिल जाएगी ज़मीं, फ़लक अब यहाँ मिर्ज़ा, तुझको ढूँढ के मैं लाऊँ मेरी दुनिया को तुझपे ही लुटा दूँ राँझणा, हीर बणके मैं मनाऊँ साहेबा बणके वारी-वारी जाऊँ मिर्ज़ा, तुझको ढूँढ के मैं लाऊँ मेरी दुनिया को तुझपे ही लुटा दूँ राँझणा, हीर बणके मैं मनाऊँ साहेबा बणके वारी-वारी जाऊँ मिर्ज़ा, तुझको ढूँढ के मैं लाऊँ (हैरतें, अर्ज़ियाँ, मन्नतें माँगता) मेरी दुनिया को तुझपे ही लुटा दूँ (जो तू ना मिला, राँझा मैं तो हो गया) राँझणा, हीर बणके मैं मनाऊँ (साहेबा, तू बता, क्यूँ तू इतना ख़फ़ा?) साहेबा बणके वारी-वारी... (मिर्ज़ा अब ही था यहाँ) मिर्ज़ा, तुझको ढूँढ के मैं लाऊँ मेरी दुनिया को तुझपे ही लुटा दूँ राँझणा, हीर बणके मैं मनाऊँ साहेबा बणके वारी-वारी जाऊँ