Kishore Kumar Hits

Underground Authority - Insaaf ka Qaatil şarkı sözleri

Sanatçı: Underground Authority

albüm: Insaaf Ka Qaatil


Long years ago we made a tryst with destiny
And now the time comes
When we shall redeem our pledge
Not wholly or in full measure
But very substantially
At the stroke of the midnight hour
When the world sleeps
India will awake to life and freedom

ऊँचे कुर्सियों पे बैठे खेले पैसों का ये खेल
Fraud-पंती इतनी इनकी फिर भी क्यूँ मिले ना jail?
Vote के लिए बजाए जो मंदिरों की घंटी
Bathtub में डूबे-उभरे बुलबुले जो झूठ की
पीठ पीछे खींचे धागे, जोड़े एक से बढ़कर एक
जेब कतरे सारे bank account में करे जो छेद
भेड़ियों ने शिक्षा को बनाया काला धंधा
फ़ायदा उठाया, फिर लहराया पार्टियों का झंडा
देख, समझ, लपेट पहने अपने कपड़े
जो ये सफ़ेद बातें ऐसे करते
जैसे गरीबों का मसीहा
मसीहा!
देख, समझ, लपेट इनकी हुक़्म में बस
हम सद रहें बिकाऊ सब हैं जैसे
कानून को है खरीदा
खरीदा!
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल कौन?
मेरे खुदा, तू गवाह पर क्यूँ तू मौन?
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल
ऊँगलियों पे नाचे आगे-पीछे इनकी है सरकार
भाड़ में आज़ादी, भाड़ में गया तेरा अधिकार
इमारतों पे रहते ये गरीब की ना जानते
मरीज़ों को ज़हर पिला-पिलाके ये जो मारते
सिफ़ारिशों से बहरे, देश की ना है फ़िक्र
बहरूपिए हैं सारे, जात में लिखा है thug
करोड़ के घोटालो में हैं नाम इनके शामिल
But public जो चुप रहे तो कुछ ना कर पाएँगे हासिल
देख, समझ, लपेट पहने अपने कपड़े
जो ये सफ़ेद बातें ऐसे करते
जैसे गरीबों का मसीहा
मसीहा!
देख, समझ, लपेट इनकी हुक़्म में बस
हम सद रहें बिकाऊ सब हैं जैसे
कानून को है खरीदा
खरीदा!
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल कौन?
मेरे खुदा, तू गवाह पर क्यूँ तू मौन?
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल
कब तक यूँ सहते रहें?
कब तक हम चुप रहें?
कब तक हम यूँ डरें?
कब तक हम जो दबें?
अब ना ये सर झुके
रोके से ना रुके
अब ना ये सर झुके
बस हम आगे बढ़ें
कब तक यूँ सहते रहें?
कब तक हम चुप रहें?
कब तक हम यूँ डरें?
कब तक हम जो दबें?
अब ना ये सर झुके
रोके से ना रुके
अब ना ये सर झुके
बस हम आगे बढ़ें
रोके से ना रुके
बस हम आगे बढ़ें
रोके से ना रुके
बस हम आगे बढ़ें
रोके से ना रुके
रोके से ना रुके
बस हम आगे बढ़ें
रोके से ना रुके
बस हम आगे बढ़ें
रोके से ना रुके
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल कौन?
(रोके से ना रुके)
(बस हम आगे बढ़ें)
मेरे खुदा, तू गवाह पर क्यूँ तू मौन?
(रोके से ना रुके)
(बस हम आगे बढ़ें)
ऐ तू बता, इंसाफ़ का क़ातिल कौन?

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