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Mitali Singh - Harf- E-Ulfat şarkı sözleri

Sanatçı: Mitali Singh

albüm: Gulmohar


हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया
हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया
मेरा ख़त उनसे किसी तरह जलाया ना गया
हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया

जिन के मिलने की तमन्ना में गुज़ारी थी हया
जिन के मिलने की तमन्ना में गुज़ारी थी हया
जिन के मिलने की तमन्ना में गुज़ारी थी हया
सामने ही से वो गुज़रे तो बुलाया ना गया
मेरा ख़त उनसे किसी तरह जलाया ना गया
हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया

कितने बेताब उजालों की तड़प है मुझमें
कितने बेताब उजालों की तड़प है मुझमें
मैं वो मिट्टी का दीया हूँ जो जलाया ना गया
मेरा ख़त उनसे किसी तरह जलाया ना गया
हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया
हर्फ़-ए-उल्फ़त था, मिटाने से मिटाया ना गया

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